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Backकेन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, मालपुरा की अनुसूचित जनजाति उपयोजना में किसान -वैज्ञानिक संगोष्ठी एवमं रबी की फसलों का गुणवतायुक्त बीजो का वितरण।



 भाकृृअपः- केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, मालपुरा द्वारा दौसा जिले की नाँगल राजावतान तहसील की ग्राम पंचायत हापावास में 25 सितम्बर, 2022 को किसान-वैज्ञानिक संगोष्ठी में माननीया श्रीमती जसकौर मीना, लोकसभा सांसद, दौसा, माननीय डाॅ. अरुण कुमार तोमर, निदेशक, केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, श्रीमान दिनेश कुमार, प्रधान नागलराजावतान, पं.स., दौसा, श्रीमती अर्चना मीना, अखिल भारतीय सह-समन्वयक, स्वावलंबी भारत अभियान, डाॅ. बनवारी लाल जाट, प्रभारी, कृृषि विज्ञान केन्द्र, दौसा, नोडल अधिकारी डाॅ. जी.जी. सोनावणे, डाॅ. अमर सिंह मीना, डाॅ. रणजीत गोदारा, वैज्ञानिक, श्रीमान प्रहलाद मीना, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग, दौसा, श्रीमती केशंतीदेवी मीना सरंपच हापावास आदि अथितियों ने अनुसूचित जनजाति उपयोजना द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। जनजाति के किसानों को भेड़ पालन एवम् बकरी पालन व्यवसाय से जुडकर आजीविका बढाने के बारे में अविकानगर संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी दी गई। निदेशक महोदय डाॅ. अरुण कुमार तोमर ने बताया कि चयनित जनजाति भेड़-बकरी पालक किसान संस्थान द्वारा प्राप्त उन्नत नस्लों के पशुओं एवम बीज की किस्मों का टीएसपी क्षेत्र के अन्य किसानों के बीच वितरण एवम प्रसारण में मेरे संस्थान का सहयोग करें। साथ ही अपने बीच उपस्थित चयनित प्रगतिशील जनजाति महिलाओं और पुरुष किसानों द्वारा अपनाई गई संस्थान के कौेशल विकास को क्षेत्र के अन्य किसानों के बीच ज्यादा से ज्यादा ज्ञान का कितरण करने का भी आहवान किया। मैं संगोष्टी में मौजूद सभी किसान भाईयों को निवेदन करता हुँ कि पशु पालन व्यवसाय को बिना चारागाह में भेजे ही घर पर उचित मात्रा में दाना, चारा आदि का प्रबंधन कर बाजार आधारित जरुरत के हिसाब से अ़च्छी आय प्राप्त करें। ओर सभी जनजाति किसान भाईयों से निवेदन है कि अपने परिवार में तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, गुणवता युक्त पोषण एवम बच्चों को अच्छे संस्कार देकर देश के विकास में योगदान दें। सभी जनजाति किसान भाई संगठित होकर सहकारी संस्थाओं का निर्माण करे एवम पशुुपालन उत्पादो को सीधे अपने फार्म से उपभोक्ताओं तक पहुचाए। ताकि खेती एवं पशुुपालन व्यवसाय में बिचैलिओं की भूमिका को नियंत्रित करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सके । साथ में वर्तमान समय की मांग के अनुसार मूल्य संवर्धन आधारित उत्पादों का निर्माण करके सहकारी संस्थाओं के माध्यम से बडे शहरो के बाजार से जुड़कर अच्छी आमदनी प्राप्त करे। घटते प्राकतिक संसाधन में भी भेड़-बकरी पालक किसान वैज्ञानिक तरीके से अपने फार्म का प्रबंधन करे। साथ में पशु-पोषण, पशु स्वास्थ्य एवं हरा और सूखे चारे का प्रबंधन से भेड़ बकरी पालन से अच्छी आय प्राप्त करे। निदेशक महोदय ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों को संस्थान द्वारा दौसा जिले के जनजाति किसानों को वितरण किये गये अब तक के सामानों का ब्योरा दिया। 18 जनवरी 2021 से 25 सितम्बर 2022 तक केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, मालपुरा, की टीएसपी परियोजना में 66 भेड पालक जनजाति किसानो को 74 उन्नत नस्ल के भेड के मेढें, 15 बकरी पालक जनजाति किसानो को 15 उन्नत नस्ल के सिरोही बकरी के बकरे, 24 मालपुरा/अविकालीन नस्ल की भेड की यूनिट 3 अनाथ लडके एवम 3 अनाथ लडकी (3 भेड ़1 मेंढा), 50 आर्थिक रुप से कमजोर परिवार (विधवा, अन्त्योदय, बीपीएल, विकलाँग आदि) को 2 सिरोही नस्ल की बकरी, दो प्रशिक्षण कार्यक्रम (55 महिला व पुरुष), दो भ्रमण कार्यक्रम (लगभग 430 से ज्यादा किसान), 450 जनजाति किसानों को खरीब की फसल के बीजों का, 1500 जनजाति किसानों को रबी की फसल के बीजों का एवमं लगभग 50 से ज्यादा स्कुल के जनजाति विद्यार्थियों आदि को टीएसपी परियोजना के माघ्यम से किसी ना किसी रुप में लाभान्वित कर चुके है। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सभी गणमान्य एवमं कृृृषि ओर पशुपालन विभाग के अतिथियों ने भी जनजाति किसानों को कृृृषि एवमं पशुपालन पर उदाहरण स्वरुप सम्बोधित किया। कार्यक्रम में दौसा जिले की विभिन्न तहसिलों नाँगल राजावतान तहसिल की विभिन्न पंचायतों (चूडियावास, हापावास, मलवास, रामसिहंपुरा, खानवास, पापड़दा, धरणवास, नाँगल, मानपुरिया, ठीकरिया, अलूदा, श्यालावास, छारेडा, थूमडी, रानीवास, लाडली का बास एवम कालीखाड आदि), राहुवास तहसील की विभिन्न पंचायतें (राहुवास, बैजूवाडी, नयाबास एवम निचूनिया आदि), दौसा तहसील की पंचायत (नांगलबहरसी आदि), बैजुपाड़ा (आलियापाड़ा, रुपबास, खेड़ा एवम ढंड आदि), सिकराय (सिकराय, पिलोड़ी, ठिकरिया, करोड़ी, हिंगवा, सालयावास, गोठडा एव भाडारेज आदि),  तहसील की पंचायतें (पीलोड़ी, आदि) के जनजाति लाभार्थियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया है। अन्त में संस्थान के निदेशक डाॅ. अरूण कुमार तोमर एवं उनके समस्त वैज्ञानिकों, तकनीकियों एवं सहायक सहयोगी को धन्यवाद दिया की आपने संस्थान की उन्नत पशुओं एवं तकनीकियों के प्रचार-प्रसार दौसा जिले के जनजाति किसानों के लिए किया। हम इस तरह भारत सरकार की आत्मनिर्भर योजना एवं किसानों की आय दुगनी करने में अपना भरसक प्रयास जनजाति किसानों के लिए करते रहेगें। कार्यक्रमों में उपस्थित अतिथियों द्वारा अनुसूचित जनजाति उपयोजना में चयनित लाभार्थियों को गिर्राज - 31 सरसों की किस्म (15 क्विंटल) एवं गुणवत्ता युक्त काला गेहुँ (11.2 क्विंटल) का बीज दौसा जिले की विभिन्न तहसिलो के लगभग 600 जनजाति किसानो को निशुल्क वितरण किया गया। साथ ही जनवरी 2021 से जून 2022 तक वितरण किये गये सिरोही नस्ल की बकरियों, बकरें, मालपुरा/अविशान/अविकालीन नस्ल के मेंढे एवम मालपुरा नस्ल की भेड़ों के पहले से चयनित 137 जनजाति किसानो को दाना भंडारण टंकी, पशुओं को दाना-चारा खिलाने का ट्रफ, गिर्राज - 31 सरसों की किस्म (15 क्विंटल) एवं गुणवत्ता युक्त काला गेहुँ (11.2 क्विंटल) का बीज भी वितरण कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों के द्वारा से किया गया। हापावास ग्राम पंचायत, दौसा केें कार्यक्रम का संयोजक डाॅ. जी. जी. सोनावणे (नोड़ल अधिकारी, टीएसपी सेल) के द्वारा किया गया ।

 
इस कार्यक्रम  का संचालन डाॅ. अमरसिंह मीना, सदस्य, टीएसपी सेल के द्वारा किया गया । कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री राम खिलाडी मीना, डाॅ. रामजीलाल मीना, केवीके, दौसा,  श्री भजन लाल सेठ, श्रीमान राकेष बोहरा जी, पंचायत समिति सदस्य, श्री भौरी लाल मीना,  श्री घमंडी लाल मीना एवमं श्री राजेश कुमार चन्देल ने भी योगदान दिया।
 
 


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