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Backदौसा जिले के जनजाति क्षेत्र में आजीविका सुधार के लिए भेड एवं बकरी पालक किसानों के लिए किसान-वैज्ञानिक संगोष्ठी एवम् भेड ओर खरीफ की फसलों का गुणवतायुक्त बीजो का वितरण।



 भाकृृअपः- केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, मालपुरा द्वारा दौसा जिले के कृृषि विज्ञान केन्द्र, दौसा में 17 जून, 2022 को किसान-वैज्ञानिक संगोष्ठी एवम् बीजों का वितरण कार्यक्रम का आयोजन अनुसुचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी सेल) के द्वारा किया गया है। माननीया श्रीमती जसकौर मीना, लोकसभा सांसद, दौसा राजस्थान इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप मे उपस्थित है। साथ में माननीय डाॅ. अरुण कुमार तोमर, निदेशक, केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर भी इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे है। प्रभारी, कृृषि विज्ञान केन्द्र, दौसा, श्रीमान डाॅ. रतन तिवाड़ी, बीजेपी, जिला अध्यक्ष, डाॅ. आशुुतोश पटेल, प्रधान वैज्ञानिक, श्रीमान बाबूलाल  मीना, भूतपूव चैयरमैन कृृषि मंडी, दौसा भी कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रुप में भाग लिए है। नाँगल राजावतान तहसील के विभिन्न पंचायतों (चूडियावास, हापावास, मलवास, रामसिहंपुरा, खानवास, पापड़दा, धरणवास, नाँगल, मानपुरिया, ठीकरिया, अलूदा, श्यालावास, छारेडा, थूमडी, रानीवास, लाडली का बास एवम कालीखाड), राहुवास तहसील की विभिन्न पंचायतें (राहुवास, बैजूवाडी, नयाबास एवम निचूनिया), दौसा तहसील की पंचायत (नांगलबहरसी) एवम सिकराय तहसील की पंचायतें (पीलोड़ी, सालयावास, गोठडा एव भाडारेज) के जनजाति लाभार्थियों एवं सरपंचो भी इस कार्यक्रम में भाग लिए है। भेड़ व बकरी पालन के लिए संस्थान द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम के माध्यम से मालपुरा एवं अविकालीन नस्ल के उन्नत पशुओं, आरजी-578 मुंगफली की किस्म, आरजीसी-1033 गवार की किस्म एवम अन्य कृृषि एवम पशुपालन के आवश्यक सामानो (घमला, स्टील बाल्टी, पानी की बोतल, दवाँई किट, मिनरल मिक्सर्र इंट, संस्थान कैलेण्डर आदि) का वितरण निशुल्क जनजाति भेड़ पालको किसानो को किया गया। जनजाति के किसानों को भेड़ पालन एवम् बकरी पालन व्यवसाय से जुडकर आजीविका बढाने के बारे में अविकानगर संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी दी गई।

निदेशक महोदय डाॅ. अरुण कुमार तोमर ने बताया कि भेड़-बकरी पालन पाॅच सितारा पशु के समान है जो देश के जनजाति किसानो, गरीब, बेरोजगार, अनाथ, बेसहारा व्यक्ति, बुर्जगों, भूमिहीन किसानों को पाॅच मूल्यवान उत्पादों जैसे दूध, माॅस, खाद, खाल एवम ऊन देकर उनको वर्षभर आत्मनिर्भर बनाने के लिए संसाधनों उपलब्ध करा रहा है ये पशु इनके लिए चलते-फिरते बैक या एटीएम के समान है । भेड़-बकरी पालको एवं देश के अन्य किसानो को मेरा सुझाव है कि बाजार की जरूरत के हिसाब से अपनी खेती एवं पशुुपालन के व्यवसाय को एक नई दिशा दे। सभी जनजाति किसान भाई संगठित होकर सहकारी संस्थाओं का निर्माण करे एवम पशुुपालन उत्पादो को सीधे अपने फार्म से उपभोक्ताओं तक पहुचाए। ताकि खेती एवं पशुुपालन व्यवसाय में बिचैलिओं की भूमिका को नियंत्रित करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सके । साथ में वर्तमान समय की मांग के अनुसार मूल्य संवर्धन आधारित उत्पादो का निर्माण करके सहकारी संस्थाओं के माध्यम से बडें शहरो के बाजार से जुड़कर अच्छी आमदनी प्राप्त करे। घटते प्राकतिक संसाधन में भी भेड़-बकरी पालक किसान वैज्ञानिक तरीके से अपने फार्म का प्रबंधन करे । साथ में पशु-पोषण, पशु स्वास्थ्य एवं हरा ओर सुखे चारे का प्रबंधन से भेड़ बकरी पालन से अच्छी आय प्राप्त करे। संस्थान की और से विकसित अधिक मेंमने देने वाली अविशान भेड़ का पालन कर देशी भेड़ो की तुलना में ज्यादा मेंमने प्राप्त करे, जिनको बेचने पर ज्यादा से ज्यादा लाभ लिया जा सके। 
मुख्य अतिथि महोदया माननीया श्रीमती जसकौर मीना, लोकसभा सांसद, दौसा ने सभी किसान भाईयों से निवेदन किया कि ज्यादा से ज्यादा संस्थान के उन्नत तकनीकियों का लाभ उठायें। अन्त में संस्थान के निदेशक डाॅ. अरूण कुमार तोमर एवं उनके समस्त वैज्ञानिकों, तकनीकियों एवं सहायक सहयोगी को धन्यवाद दिया की आपने संस्थान की उन्नत पशुओं एवं तकनीकियों के प्रचार-प्रसार दौसा जिले के जनजाति किसानो के लिए किया। आप इस तरह भारत सरकार की आत्मनिर्भर योजना एवं किसानों की आय दुगनी करने में अपना भरसक प्रयास मेरे जिले के जनजाति किसानों के लिए करते रहेगें। कार्यक्रम को डाॅ. आशुुतोश पटेल, प्रधान वैज्ञानिक ने खेती एवम पशुपालन व्यवसाय से कैसे जनजाति किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाये के बारे में बताया । तथा खेती एवम पशुपालन के व्यवसायीकरण की ओर ले जाने पर ऊदारणस्वरुप संवाद किया । कार्यक्रम को श्रीमान डाॅ. रतन तिवाड़ी, दौसा बीजेपी, जिला अध्यक्ष ने भी सम्बोधित किया । प्रभारी, कृृषि विज्ञान केन्द्र, दौसा ने भी  खरीफ की फसलों की खेती की बुवाई एवम ऊनके बेहतर प्रबंधन पर विस्तार से संवाद किया ।
उपरोक्त कार्यक्रम में कुल 29-30 क्विंटल आरजी-578 मुंगफली की वैराइटी का बीज (20 किलो ग्राम के 145-150 पैकेट), 4 किलो आरजीसी-1033 गवार की वैराइटी का बीज (4 किलो ग्राम के 175 पैकेट) का गुणवतायुक्त बीज भी खरीफ सीजन में बुवाई हेतु विभिन्न पंचायतो के 275-300 लाभार्थी जनजाति किसानो को वितरण किया गया । 1र्4 आिर्थक रुप से कमजोर भेड़ पालक जनजाति किसानो को ऊन्नत नस्ल के मालपुरा एवं अविकालीन भेड के मंेढें वितरण किया गया । साथ में र्6 आिर्थक रुप से कमजोर (अनाथ परिवार, बीपीएल परिवार, अन्तोदय परिवार आदि) परिवार को 3 मालपुरा नस्ल की भेड एवम 1 मालपुरा नस्ल का मंेढा ईकाई का वितरण भी कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों द्वारा किया गया ।  कृृषि विज्ञान केन्द्र, दौसा में कार्यक्रम का संयोजक एवम सभी अतिथियों का स्वागत,  टीएसपी योजना के बारे में विवरण डाॅ. जी. जी. सोनावणे (नोड़ल अधिकारी, टीएसपी सेल) के द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम  का संचालन डाॅ. अमरसिंह मीना, सदस्य, टीएसपी सेल के द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम  में सभी कृृषि विज्ञान केन्द्र, दौसा के  वैज्ञानिकों (कार्यवाहक प्रभारी केवीके डाॅ. रामजीलाल मीना,  डाॅ. सुनीता, डाॅ. चैताडा आदि) रामखिलारी मीना, राजेश चॅदेल ने भाग लिया ।

 



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