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Backदिनांक 13.09.2013 को हिन्दी सप्ताह का उद्घाटन समारोह मरू क्षेत्रीय परिसर, बीकानेर में



 केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, मरू क्षेत्रीय परिसर, बीकानेर में हिन्दी दिवस के अवसर पर दिनांक 13.09.2013 को हिन्दी सप्ताह समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय प्रो. ए.के. गहलोत, कुलपति, राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर एवं विशिष्ठ अतिथि डा. नरेन्द्र देव यादव, प्रभागाध्यक्ष, काजरी, बीकानेर की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रो. ए.के. गहलोत ने हिन्दी भाषा के वैज्ञानिक/उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रयोग में हिन्दी भाषा से जुड़ी समस्याओं के बारे में अवगत कराया एवं नवीन सूचना प्रोद्योगिकी में हिन्दी भाषा के बढते प्रयोग से कृषि एवं पशु विज्ञान प्रसार से जुडे़ किसान भाईयों को हो रहे लाभों की जानकारी दी। उन्होने बताया कि हमें हिन्दी भाषा की संवृदि के लिये हर संभव प्रयास करना चाहिए। हिन्दी भाषा को अंग्रेजी के सापेक्ष रूप में न देखकर हिन्दी के स्वतंत्र विकास की कोशिश होनी चाहिए। डा. नरेन्द्र देव यादव ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चाहे हम किसी भी भाषा में बात कर रहें हो, पहले हम अपनी मातृभाषा में उस बात को सोचते है फिर तुरंत उसका अनुवाद हम अन्य भाषा जैसे अंग्रेजी में करते है। उन्होने हिन्दी भाषा के अनुंसधान कार्यो में प्रयोग के लिये वैज्ञानिकों से विशेष अनुरोध किया। केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, मरू क्षेत्रीय परिसर के प्रभागाध्यक्ष डा. ए.के. पटेल, ने उद्घाटन में पधारे मुख्य अतिथि, विशिष्ठ अतिथि एवं सभी अतिथिगणों का स्वागत किया। डा. पटेल ने अपने संस्थान में कार्यालय के सभी कार्य हिन्दी में होने की जानकारी दी एवं बताया कि वैज्ञानिक शोध के परिणामों को हिन्दी में सरल भाषा में तैयार कर अधिक से अधिक किसानों एवं पशुपालकों तक पहंुचाया जायेगा। इस मौके पर उन्होने भारत सरकार में कृषि मंत्री एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रमुख श्री शरद पवार के हिन्दी चेतना मास संदेश को पढकर सुनाया। इस अवसर पर श्री प्रेम प्रकाश पारीक, तकनीकी अधिकारी, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान ने देश में हिन्दी भाषा की स्थिति मे स्वतंत्रता के बाद आई अवनति पर व्याख्यान दिया एवं आवह्ान किया कि अगर हिन्दी भाषा को वास्तव में शिखर स्तर पर पहॅुचाना है एवं विशिष्ठ भाषा का दर्जा दिलाना है तो शुरूआत  स्वयं के हस्ताक्षर हिन्दी में करके की जा सकती है। उन्होने कार्यालय में कम्प्यूटरों पर यूनीकोड के बढते प्रयोग की सराहना की। अतः में डा. आर. के. सावल के धन्यावाद प्रस्ताव के साथ समारोह सम्म्पन हुआ। इस अवसर पर परिसर के वैज्ञानिकों के लिये हिन्दी में शोध-पत्र तथा पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गयी।



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