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Backसंस्थान में गाजर-घास जागरूकता सप्ताह का आयोजन
संस्थान के निदेशक डा0 ए0 साहू की नेतृत्व में दिनांक 16-08-2019 से 22-08-2019 तक गाजर-घास जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया गया। सप्ताह के दौरान संस्थान के प्रशासनिक भवनों,प्रयोगशालाओं,सड़कों, के किनारे,पशु सैक्टरों एवं कृषि सैक्टरों के आस-पास गाजर-घास को हटाने का प्रयास किया गया। उन्मूलन कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिको, अधिकारियों,कर्मचारियों एवं अनुबन्धित कर्मचारियों ने भाग लिया। निदेशक महोदय ने इन अवसरों, पर कहा कि संस्थान में पिछले 5-6 वर्षो से किये जा रहे प्रयासों से गाजर-घास को लगभग 80-90 प्रतिशत तक नियन्त्रण में कर लिया गया है। जिसके फलस्वरूप संस्थान परिसर से गाजर-घास काफी मात्रा में कम हो गया है। हम सभी को गाजर-घास को संस्थान परिसर से पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए कृतसकंल्प रहना चाहिए ताकि गाजर-घास के दुष्प्रभाव से परिसर वासियों,संस्थान के पशुओं तथा प्रक्षेत्र की जैव-विविधता को बचाया जा सकें।
गाजर-घास जागरूकता सप्ताह के दौरान संस्थान परिसर के केन्द्रीय विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालय के छात्र-छात्राओं को भी गाजर-घास के दुष्प्रभावों के बारे में वैज्ञानिकों द्वारा जागरूक किया गया। इन अवसरों पर निदेशक महोदय ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए अवगत कराया कि ”पारथेनियम हिस्टेरोफोरस (परिवारः एस्टेरसिया) , जिसे स्थानीय रूप से गाजर-घास (चटंक चादनी) या कांग्रेस घास कहा जाता है, जो कि एक विदेशी खरपतवार है। यह खरपतवार त्वचा संबंधी एलर्जी, घास का बुखार,मनुष्यों और जानवरों में सांस लेने की समस्याओं और जैव-विविधता के कृषि उत्पादकता नुकसान को कम करने के अलावा कई बिमारियों का कारण हैं। यह खरपतवार भारत में खतरनाक दर से फैल रहा है और इसके प्रबंधन के लिए हमारे सभी प्रयास कम हो रहे है।”
जागरूकता सप्ताह के दौरान संस्थान की परियोजनाओं में अगीकृत गांवों में भी किसान गोष्ठीयों के माध्यम से किसानों को गाजर-घास के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई तथा गाजर-घास को हटाने का भी प्रयास किया गया।
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