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Backदिनांक 02.05.2013 को भारतवर्ष के गर्म शुष्क एवं अर्ध शुष्क क्षेत्रों के लघुरोमनिथयों में जलवायु के अनुकूल आवास एवं तनाव प्रबंधन विषय पर कार्यशाला का उदघाटन



केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर में दिनांक 02.05.2013 को भारतवर्ष के गर्म शुष्क एवं अर्ध शुष्क क्षेत्रों के लघुरोमनिथयों में जलवायु के अनुकूल आवास एवं तनाव प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का उदघाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जलवायु लचीली कृषि पर राष्ट्रीय पहल नामक परियोजना के राष्ट्रीय समन्वयक डा. बी. वेंकटेशरवल्लू द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथि ने भावी बदलती जलवायु के संदर्भ में घटते हुए जल संसाधन, चारा एवं चरागाह तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने राज्यों के कृषि एवं पशु पालन विभागों तथा अन्य संगठनों के लिए संस्तुत की जाने वाली पशु पालन तकनीकों को विकसित करने का आहवान किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डा. सैयद मोहम्मद खुर्शीद नकवी ने कार्यशाला में भाग ले रहे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए परियोजना के अन्तर्गत संस्थान द्वारा किए जा रहे अनुसंधानों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने लघु रोमन्थीय भेड़-बकरियों की पुनरुत्पादन क्षमता में किसी भी प्रकार की कमी तथा समग्र उत्पादन में गिरावट से बचाव हेतु पोषण एवं आवास संबंधी रणनीतियों को तैयार करने पर बल दिया।  उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन का भेड़ - बकरी उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिससे भेड़ - बकरी पालकों को उचित लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन न केवल देश की समस्या है बलिक पूरे विश्व के वैज्ञानिकों के लिए यह एक चुनौती बना हुआ है तथा वैज्ञानिक इस समस्या के निदान के लिए अनुसंधान कर रहे हैं। परियोजना के प्रमुख अन्वेषक एवं समन्वयक डा. आर्तबन्धु साहू ने स्थानीय रूप से उपलब्ध नागफनी, ऊँट कटहला, एजोला, सम्पूर्ण आहार वटिटका आदि चारा संसाधनों पर आधारित खिलार्इ पिलार्इ तकनीकों के अन्वेषण पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में महिला कृषकों सहित लगभग 100 कृषकों ने भाग लेते हुए कृषि एवं भेड़ पालन संबंधी समस्याओं से अवगत कराया। इस कार्यशाला में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, भारतीय चारा एवं चरागाह अनुसंधान संस्थान, झांसी के पशिचमी क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र अविकानगर तथा संस्थान के लगभग 60 वैज्ञानिकों ने जलवायु लचीली कृषि पर राष्ट्रीय पहल परियोजना के विभिन्न पहलूओं पर विस्तृत विचार विमर्श किया।



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