Backमरु क्षेत्रीय परिसर में हिन्दी सप्ताह का समापन
20 सितम्बर 2016 को मरु क्षेत्रीय परिसर में हिन्दी सप्ताह का समापन समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में मुख्य अथिति ड़ॉ. एन. वी. पाटिल, निदेशक महोदय, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, विशिष्ट अथिति ड़ॉ. शालीनी मूलचन्दानी, विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, डुंगर कॉलेज उपस्थित थे। श्री आर0ए0 साहू, स0प्र0अ0 व प्रभारी हिन्दी अनुभाग ने बताया कि हिन्दी सप्ताह के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताये जैसे- स्व-रचित कविता, निबंध प्रतियोगिता, हिन्दी अनुवाद, हिन्दी टंकण, हिन्दी टिप्पणी व हिन्दी में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के प्रथम, द्वितीय व तृतीय विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर प्रभागाध्यक्ष ने बताया कि हिन्दी हमें जन -जन की भावना से जोड़ती है। आत्मीयता को बढाती है। हिन्दी भाषा का सबसे ज्यादा मनोरजंन व विज्ञापन के क्षेत्र में प्रयोग किया है। इसी तरह शोध परिणाम व तकनिकी ज्ञान से किसानो और भेड़ पालकों को लाभान्वित करें।
विशिष्ट अथिति ड़ॉ. शालीनी मूलचन्दानी ने बताया कि हिन्दी में वैज्ञानिक शब्दावली का प्रयोग नही हो रहा है। सरकारी भाषा में अग्रेंजी का हिन्दी अनुवाद होने से हिन्दी का मूल भाव विलुप्त हो गया है। हिन्दी को बढाने के लिए आत्यमीयता का जुडाव आवश्यक है। सरकारी हिन्दी के नाम पर बोलचाल के शब्दो को कलिष्ठ बना देते है। पर्यटन ने हिन्दी को बढाया है। हिन्दी में वर्तनी को शुद्वता का ज्ञान सभी को होना चाहिए। युवा पीढी का लेखन का अभ्यास कम हो गया है। मानव मस्तिष्क कम्प्यूटर बना सकता है पर हजारो कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क नही बना सकता है। रचनात्मकता कल्पना व्यक्ति एवं संवेदनाए वाली हिन्दी भाषा को कम्प्यूटर द्वारा नही लिखी जा सकती। ऐसी भाषा हमें विकृति की और ले जा रही है।
नराकास सचिव श्री अशोक शर्मा ने कहा की मातृभाषा का आदर करे। तभी हमें भी सम्मान मिलेगा। सरकारी कर्मचारियो को बेहतर ढंग से हिन्दी को अपनाना चाहियें। सवैंधानिक ढंग से कार्य करें।
मुख्य अतिथि महोदय डा0 पाटिल ने वैज्ञानिको द्वारा प्रदर्शित पोस्टर प्रतियोगिता के प्रदर्शन को वैज्ञानिक ढंग से हिन्दी में प्रस्तुत करने की प्रशंषा की हिन्दी के कुछ कलिष्ठ शब्दों को जो भाषा को अच्छी तरह से समझा सके उसका हमें उपयोग करना चाहिये। स्वतन्त्रता संग्राम में हिन्दी ने ही जन-जन को जोडा है। अन्त में डा0 निर्मला सेनी, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया ।