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Backआत्मा टोंक के सोजन्य से 120 किसानों को “उन्नत भेड़ एवं बकरी पालन” पर प्रशिक्षण कार्यक्रम



भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर द्वारा टोंक जिले के टोडारायसिंह, देवली, मालपुरा एवं पचेवर क्षेत्र से आए 120 किसानों को “उन्नत भेड़ एवं बकरी पालन” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रशिक्षण कार्यक्रम 1-2 सितंबर, 8-9 सितंबर, 10-11 सितंबर एवं 15-16 सितम्बर 2015 के मध्य सम्पन्न किए गए। ये कार्यक्रम उपनिदेशक कृषि एवं  पदेन परियोजना निदेशक आत्मा, टोंक द्वारा वित पोषित किए गए हैं। टोंक जिले के विभिन्न गावों जैसे लादूपुरा, बस्सी, नारेड़ा मुंडियाकलाँ, बद्रीपुरा, चांदली, खेजड़ा का बांस मंडोलाई, दतोब, महरु, लांबा कलाँ, सदापुरा, सेतीयावास, जेथ्लिया, मालपुरा, बरोल, अमरपुरा कचोलिया, सांस, रामपुरा बांस, गनवर, बनेडिया, जाजुमों की ढाणी,क्यारिया बरवास, छांबांसुरिया, रिंदलिया बुजुर्ग, इंदोली, सिंदोलिया, रूपाहली, मोरला, बाघपुरा देवल, लांबिया झाडली, तितरिया, ढिबरू, कांटोली, चांदसेन से आए भेड़-बकरी पालकों को प्रशिक्षण के माध्यम से भेड़ एवं बकरी पालन की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानो को भेड़ पालन प्रबंधन, भेड़ बकरी प्रजनन व्यवस्था, उन्नत नस्ल का महत्व, अकाल के समय पशुओं की चारा व्यवस्था, भेड़ बकरी के मुख्य रोग, किसानों के लिए सरकार द्वारा प्रद्त मुख्य योजनाएँ इत्यादि विषयों पर किसानों को नवीनतम जानकारी दी गई। संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को व्याख्यान एवं तत्पश्चात प्रायोगिक सेक्टरों का भ्रमण करवा कर किसानों को नई-नई तकनीकों एवं उनके प्रयोगो की जानकारी दी गई।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह पर संस्थान के निदेशक डॉ एस एम के नक़वी ने कहा कि संस्थान विभिन्न प्रसार तरीकों से किसानों तक पहुँचता है जिनमें प्रशिक्षण एक सशक्त माध्यम है। प्रशिक्षण के दौरान किसान संस्थान में भेड़ एवं बकरियों के पालने के तरीकों का अनुभव प्रत्यक्ष रूप में प्राप्त करता है। भेड़ बकरियों को टीकाकरण, कृमिनाशक दवा पिला कर, भेड़ों को 300ग्राम दाना प्रतिदिन खिला कर इत्यादि द्वारा अपनी रेवड़ को अधिक स्वस्थ रख सकता है।

प्रशिक्षण के समन्वयक तकनीकी स्थानांतरण एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ राजीव गुल्यानी, एवं प्रधान वैज्ञानिक, डॉ जी एल बागड़ी, सह- समन्वयक वैज्ञानिक डॉ राज कुमार एवं वैज्ञानिक डॉ एल आर गुर्जर ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सुचारु रूप से चलाने में विभिन्न रूप में योगदान दिया।



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