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Backतेलंगाना राज्य के 22 भेड़ पालकों द्वारा भेड़ व ऊन संस्थान का भ्रमण



तेलंगाना राज्य के खमम जिले से आए 22 कृषकों एवं 2 अधिकारियों के समूह को तकनीकी स्थानांतरण विभाग द्वारा दिनांक 03 सितंबर 2015 को संस्थान का भ्रमण करवाया गया। भेड़ पालकों को संस्थान द्वारा भेड़ पालन पर निर्मित फिल्म दिखाने के पश्चात संस्थान की प्रदर्शनी के माध्यम से संस्थान द्वारा पूर्व में किये गये शोध कार्यों का महत्व समझाया गया। कृषकों को पशु आनुवांशिकी विभाग, पशु पोषण विभाग, पशु स्वास्थ्य विभाग एवं मांस  विज्ञान अनुभाग के वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों को नई-नई तकनीकियों की जानकारियाँ प्रदान की गई। कृषकों को रेवड़ में नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान तकनीक द्वारा ज्यादा बच्चे लेना, टीकाकरण द्वारा मृत्युदर कम करना, पोषण तकनीकों से मेमनों का ज्यादा वज़न प्राप्त करना एवं उन्नत तकनीक व बीजों से चारा फसल की ज्यादा पैदावार लेना इत्यादि विषय विस्तार से समझाये गये। कृषकों ने भेड़ों के सैक्टर 9 एवं बकरी इकाई में जानवरों का रख-रखाव एवं इससे संबन्धित पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की। डॉ राजीव गुल्यानी, अध्यक्ष, तकनीकी स्थानांतरण एवं  सामाजिक विज्ञान विभाग ने किसानों को संस्थान द्वारा तकनीकी स्थानांतरण प्रक्षेत्र पर चलाये जा रहे प्रदर्शनों और भेड़ से अधिक उत्पादन लेने की जानकारी दी। डॉ आर सी शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक (पशु प्रजनन), डॉ आर एस भट्ट, प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण), डॉ जी सोनावाने, वरिष्ठ वैज्ञानिक (पशु स्वास्थ्य), श्री रूप चंद, वैज्ञानिक (पशु पोषण), डॉ वाई गाड़ेकर (मांस अनुभाग), वैज्ञानिक, डॉ विजय सक्सेना, वैज्ञानिक (पशु शरीर क्रिया विज्ञान) ने अपने-अपने विभागों में चल रहे अनुसंधान कार्यों को किसानों को विस्तार से बताया। इसके अलावा श्री रत्न लाल बैरवा, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने संस्थान की प्रदर्शिनी का भ्रमण कराया। डॉ राजकुमार एवं डॉ एल आर गुर्जर, वैज्ञानिकगण भ्रमण के समन्वयक रहें।

कृषकों के साथ आए अधिकारी डॉ नरेंद्र जैन, सहायक निदेशक, एवं डॉ के किशोर, पशु चिकित्सक, पशु पालन विभाग, तेलंगाना ने संस्थान द्वारा विकसित नई एवं सरल तकनीकों की प्रशंसा की एवं कृषकों ने इस का पूर्ण लाभ उठाया। किसानो के साथ आये ग्राम पंचायत मनिकयराम (मण्डल येल्लेंडु, जिला खमम) के सरपंच श्री मोकल्ला कृष्णा ने भी संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों की प्रशंसा की। उन्होने कहा कि वे अपने गाँव में जा कर किसानों को यह सब जानकारी देंगे। पूरे भ्रमण के दौरान डॉ नरेंद्र जैन ने वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई बातों को तेलगु भाषा में भेड़ पालकों को समझाया।



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