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Backभेड़ों में कृत्रिम गर्भाधान एक नया आयाम
दिनांक 18 अप्रेल,2015 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), नई दिल्ली के प्रोफेसर के.एम.एल.पाठक ने केन्द्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान संस्थान के मरू क्षेत्रीय परिसर का दौरा किया। परिसर में नव निर्मित कृत्रिम गर्भाधान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। भेड़ पालकों को सम्बोधित करते हुए भेड़ों में कृत्रिम गर्भाधान की आधुनिक तकनीक को अपनाने व अधिक-से-अधिक फायदा लेने का आह्वान किया। उनके अनुसार भविष्य में इस प्रयोगशाला से भेड़ पालकों को बहुत अधिक फायदा होगा। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा.एस.एम.के.नकवी ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपलब्ध इस सुविधा का लाभ शुरू में मगरा परियोजना के अन्तर्गत पंजीकृत भेड़ पालकों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इस केन्द्र के प्रभागाध्यक्ष डा.ए.के.पटेल ने कृत्रिम गर्भाधान प्रयोगशाला विकसित करने के प्रयासों का उल्लेख किया तथा प्रयोगशाला के आधुनिक उपकरणों के बारे में जानकारी दी। भेड़ों में कृत्रिम गर्भाधान विषय पर किसानों के लिए एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन भेड़ पालकों के लिए किया गया। जिसमें संस्थान अविकानगर से आये वैज्ञानिकों ने विचार व्यक्त किए। भेड़ पालकों को कृत्रिम गर्भाधान के तरीकों पर व्याख्यान दिया। भेड़ पालकों की समस्याओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया। भेड़ पालकों की तरफ से श्री जेठाराम जी ने भेड़ों के चरागाह व भेड़ों की विभिन्न बीमारियों की समस्याए बताई। वर्तमान परिवेश में पशुपालन समस्याएं व समाधान पर पुस्तिका व चोकला भेड़ व आहार वट्टिका की जानकारी हेतु फोल्डर का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर डा.बी.एन.त्रिपाठी, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डा.एन.वी.पाटिल, राष्ट्रीय बागवानी संस्थान के निदेशक डा.एस.के.शर्मा एवं काजरी के प्रभागाध्यक्ष डा. एन.डी.यादव भी उपस्थित थे।
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