Back संस्थान के उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र गडसा जिला कुल्लू (हिमाचल प्रदेश)मे पिथौरागढ़ उत्तरखंड के 31 किसानो के लिए "वैज्ञानिक अंगोरा खरगोश पालन " एव
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान अविकानगर के उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र, गड़सा जिला-कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) में आज दिनांक 26 दिसंबर, 2023 को नाबार्ड की कैट परियोजना के अंतर्गत निधि (नेओ इंटेग्राटेड डेवलपमेंट ऑफ़ हिमालय) संस्था द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय (24 से 26 दिसंबर, 2023) " वैज्ञानिक अंगोरा खरगोश पालन" पर एवं “अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति” उपयोजना के अंतर्गत 70 किसानो का तीन दिवसीय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन केंद्रीय भेड एवं ऊन अनुसंधान संस्थान निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर की अध्यक्षता में हुआ l
कार्यक्रम मे केंद्र के प्रभारी डॉ आर पुरुषोत्तम, नोडल अधिकारी डॉ अब्दुल रहीम , प्रशिक्षण समन्वयक डॉ रजनी चौधरी, निधि संस्था के निदेशक डॉ. सुनील पाण्डे एवं निधि संस्था के सदस्य डॉ. विकास पन्त एवं भीमसिंह एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर आदि ने भी भाग लिया l कार्यक्रम के अथितियों का हिमाचल परंपरा से स्वागत सत्कार प्रभारी डॉ पुरुषोत्तम द्वारा किया गया l कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार तोमर ने सभी किसानो को वैज्ञानिक तरीके से अँगोरा ख़रगोश पालन के साथ साथ भेड़-बकरी एवं मुर्गी पालन करने की सलाह दी तथा बताया की वर्तमान मे पूरे भारतवर्ष में जितने भी ख़रगोश हैं कही ना कहीं उनका इतिहास इसी संस्थान से जुड़ा हुआ है l यहाँ की जलवायु परिस्थितियाँ उत्तराखण्ड के जैसी ही हैं और छोटे पशु पालने के लिए बेहद अनुकूल हैं l कार्यक्रम मे केन्द प्रभारी द्वारा छोटे पशुओ की विभिन्न वर्षभर की जाने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला l
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार तोमर ने सभी किसानो को वैज्ञानिक तरीके से भेड़-बकरी एवं खरगोश पालन करने के तरीके क्षेत्रीय केंद्र से सिखने की जरुरत पर बल दिया तथा बताया की वर्तमान मे वैज्ञानिक तरीके से छोटे पशुओ का अच्छे से प्रबंधन करके प्रति पशु ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लेने की आवश्यकता है l हिमाचल प्रदेश की टूरिस्ट की अपार सम्भावना होने के कारण मीट उत्पाद के मूल्य संवार्दित उत्पादों के निर्माण पर भी आपको ज्यादा से ज्यादा काम करने की जरुरत है l यहाँ का कूल पर्यावरण खेती ओर पशुपालन उत्पादों का भण्डारण आसान से लम्बे समय तक कर सकने मे मददगार है l निदेशक ने बताया की आपके केंद्र की भविष्य के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए संस्थान भरसक प्रयास कर रहा है l
निधि संस्था के निदेशक डॉ सुनील पाण्डे ने बताया कि प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी किसानों को 2 वर्ष पहले उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र द्वारा लगभग 100 अँगोरा ख़रगोश दिये गये थे और ये सभी किसान उन्हीं ख़रगोशों को या उनसे लिए गए बच्चों को पाल रहे हैं। सभी किसान अँगोरा ख़रगोश पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं । इन ख़रगोशों से प्राप्त होने वाली ऊन से ये स्वयं ही मफ़लर, मोज़े, दस्ताने, शाल, जैकेट व टोपी आदि बनाकर व बेचकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं ।कार्यक्रम मे अँगोरा ख़रगोश पालन से जुड़ी सभी तकनीकों जैसे अच्छे नस्ल के पशुओ का चयन, चारा, प्रजनन, ऊन कतरन आदि पर 31 किसानो को लेक्चर्स व प्रैक्टिकल कक्षा डॉ अब्दुल रहीम व डॉ रजनी चौधरी द्वारा किया गया l
कार्यक्रम मे प्रभारी द्वारा छोटे पशुओ की विभिन्न वर्षभर की जाने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला l कार्यक्रम मे अच्छे नस्ल के पशुओ का चयन, चारा, प्रजनन, ऊन कतरन, टीकाकरण आदि पर दोनों उपयोजनों के 70 किसानो को लेक्चर्स व प्रैक्टिकल कक्षा डॉ अब्दुल रहीम चौधरी व डॉ रजनी चौधरी द्वारा किया गया l ट्राइबल सब प्लान 33 (28 महिला व 5 पुरुष)एवं एससीएसपी 39 (38 महिला व 1 पुरुष) इस प्रकार कुल 72 किसानो को दोनों उपयोजनाओं से निशुल्क कीटनाशक स्प्रे मशीन के साथ प्रमाण पत्र का भी वितरण पधारे अथिति द्वारा किया गया l
केंद्र पर चल रही जनजातीय उपयोजना के अन्तर्गत उत्तराखंड के मुनस्यारी ब्लाक के नानासेम, मल्ला घोरपट्टा, तल्ला बूंगा, सरमोली क्षेत्रों से 31 किसानों (26 महिला व 5 पुरुष) को निशुल्क ऊन काटने की कैंची, छाता, थरमस के साथ प्रमाण पत्र का भी वितरण किया गया l उक्त प्रशिक्षण के प्रशिक्षण निदेशक डॉ अब्दुल रहीम चौधरी व प्रशिक्षण समन्वयक डॉ रजनी चौधरी व डॉ आर पुरुषोत्तम थे l कार्यक्रम के सफल संचालन में क्षेत्रीय केंद्र के तकनीकी कर्मचारियों एवं प्रशासन द्वारा पूरा सहयोग किया गया l
इसी के साथ निदेशक डॉ अरुण तोमर ने हुरला जिला कुल्लू मे स्थित महंत वूलन मिल का दौरा किया गया l इस दौरे में निदेशक के साथ उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र के प्रभारी डॉ आर पुरुषोत्तमन , डॉ अब्दुल रहीम , डॉ रजनी चौधरी व श्री मनोज शर्मा भी मौजूद रहे तथा वर्तमान एवं भविष्य के हिसाब से ऊन इंडस्ट्री की समस्या ओर अवसर के बारे मे विस्तार से संवाद निदेशक द्वारा किया गया l l डॉ अमरसिंह मीना वरिष्ठ वैज्ञानिक व मीडिया प्रभारी ने कार्यक्रम की जानकारी से अवगत कराया l